योगी ने दिखाया पूर्वांचल को युवा होने का सपना
गोरखपुर, 05 नवम्बर । वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश मे योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार बनी तो सबसे बड़ी चुनौती जेई और एईएस जैसी जानलेवा पूर्वांचल की चुनौती थीं। इनकी वजह से पूर्वांचल नौजवान होने से पहले ही दम तोड़ रहा था। जेई या इंसेफलेईटिस इस पूर्वांचल के नौनिहालों को असमय लील रहा था। लेकिन इंसेफेलाइटिस के खिलाफ लगातार आवाज बुलंद करने वाले योगी कि दृढ़ इच्छाशक्ति ने इसे नेस्तानबूत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। अब पूर्वांचल एक बार फिर नौजवान होने के सपने देख रहा है। बीआरडी क स्वर्ण जयंती समारोह में योगी ने इस बात का जिक्र कर बीते हुए कल को एक बार फिर चर्चा में ला दिया।
दरअसल, योगी आदित्यनाथ वर्ष 1998 में पहली बार सांसद बने थे। पूर्वी उत्तर प्रदेश की त्रासदी इंसेफेलाइटिस का मुद्दा सदन में उठाया करते थे। वे सड़क पर उतरकर सरकारों को निरंतर घेरते और इंसेफेलाइटिस के खिलाफ आवाज बुलंद करते। 40 वर्षों में 50 हजार से अधिक बच्चों की मौत ने योगी को अंदर से झकझोर दिया था। बावजूद इसके पूर्ववर्ती सरकारों के कानों में योगी के खिलाफत की यह आवाज सुनाई ही नहीं पड़ती। हालत यह थी कि प्रति वर्ष जुलाई से नवंबर तक इंसेफलाइटिस के नाम से ही लोगों में सिहरन होने लगती। इससे पीड़ित जो मरीज बच भी जाते थे, वे शारीरिक-मानसिक दिव्यांगता के शिकार हो जाते थे। उनके जीने का कोई नहीं ही नहीं था।
वरिष्ठ पत्रकार शैलेन्द्र मिश्र कहते हैं कि वर्ष 2017 में प्रदेश का दायित्व योगी आदित्यनाथ को मिला। तब उनकी इच्छाशक्ति और बलवती हुई। उनकी अगुवाई में इंसेफेलाइटिस उन्मूलन के लिए अंतर-विभागीय समन्वय की कार्य-योजना बनी। स्वच्छता पर फोकस किया गया। उन घरों व गांव को चिन्हित किया गया, जहां प्रायः इंसेफलाइटिस का प्रकोप होता। शौचालय व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था हुई। सीएचसी व पीएचसी को मजबूत करने के साथ सर्विलांस पर ध्यान दिया गया। शायद यह सब कुछ बीआरडी मेडिकल कॉलेज से मिले अनुभव का परिणाम था। इसे ही ध्यान में रखकर सरकार ने टीम भावना से कार्य करना शुरू किया। आज इंसेफलाइटिस 95 फीसद तक कंट्रोल में है।