बॉलीवुड के अनकहे किस्सेः फिल्म कभी-कभी की शूटिंग के अंतिम दिन का वह हादसा
यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म “कभी-कभी” 1976 में आई एक हिट फिल्म थी। इसमें ऋषि कपूर ने शशि कपूर और राखी के नौजवान बेटे का रोल किया था जो अमिताभ की पत्नी वहीदा रहमान की बेटी नीतू सिंह से प्यार करता है। ऋषि कपूर यह फिल्म करने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि तब तक उनकी पहली फिल्म “बॉबी” सुपरहिट हो चुकी थी और वह उस समय नौजवानों के सबसे पसंदीदा हीरो बन चुके थे। फिल्म में शशि कपूर के साथ अमिताभ भी थे, जिनकी “जंजीर” फिल्म हिट हो जाने के कारण, उनके जबरदस्त अभिनय की चर्चा पूरे देश में हो रही थी। उनके नज़दीकी साथी भी उन्हें यह फिल्म न करने की सलाह दे रहे थे क्योंकि उन्हें उस समय के दो लोकप्रिय सितारों के साथ काम करना था, लेकिन “कभी-कभी” के निर्माता गुलशन राय विशेष तौर पर ऋषि कपूर को इस भूमिका के लिए लेना चाहते थे ताकि युवा दर्शकों को आकर्षित किया जा सके और उनकी लोकप्रियता को भुनाया जा सके।
फ़िल्म की शूटिंग कश्मीर में शुरू हो गई थी। ऐसे समय में शशि कपूर ने एक अभूतपूर्व कदम उठाया। वे यश चोपड़ा के साथ उनसे बात करने कश्मीर से दिल्ली पहुंचे। वैसे तो शशि कपूर ने कभी भी उनके कैरियर में किसी प्रकार की दखल नहीं दी थी और वह उनका बहुत आदर भी करते थे। अत: जब शशि कपूर ने उनसे इस फिल्म में काम करने का अनुरोध किया तो वह मना नहीं कर पाए और इस तरह न चाहते हुए भी वे “कभी-कभी” फिल्म का हिस्सा बन गए। सब कुछ ठीक ठाक रहा लेकिन फिल्म की शूटिंग के अंतिम दिन एक बड़ा हादसा हुआ जो काफी डरावना था और उसके चलते ऋषि कपूर तीन साल तक कश्मीर नहीं जा सके।
“कभी-कभी” की शूटिंग के दौरान कश्मीर में भारत विरोधी भावनाएं जन्म लेने लगी थीं। एक गीत की शूटिंग में नसीम, नीतू और ऋषि कपूर पहलगाम में शूट कर रहे थे। उस दिन ऋषि कपूर का जन्मदिन था और शूटिंग का अंतिम दिन भी। यश चोपड़ा ने उनके जन्मदिन के उपलक्ष में शाम को एक पार्टी का आयोजन किया था। पूरा यूनिट जिसमें दिल्ली से आए ढेर सारे जूनियर कलाकार और उनके बच्चे भी शामिल थे इस पार्टी में सम्मिलित थे। जब पार्टी पूरे शबाब पर थी तभी बहुत से स्थानीय घोड़ों के मालिक और टैक्सी चालक जो होटल के बाहर खड़े थे, के बीच किसी बात पर झड़प हो गई। झड़प को दूर करने के लिए यश चोपड़ा के सहायक दीपक सरीन नीचे पहुंचे लेकिन स्थिति उलट हो गई और नियंत्रण से बाहर हो गई।
लगभग एक हजार की भीड़ होटल के बाहर हाथों में पत्थर और आग के गोले लेकर पहुंच गई। उनका निशाना ऋषि कपूर और दीपक सरीन थे। होटल वाले ने फटाफट सबको अपने अपने कमरों में पहुंचा कर अपने पलंग के नीचे लेट जाने को कहा और कमरों को बाहर से बंद कर दिया गया। परंतु भीड़ ने खिड़कियों के कांच चूर-चूर कर दिए और पूरा होटल तहस-नहस कर दिया। स्थिति और खतरनाक होती देखकर किसी तरह उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला से संपर्क किया गया और उन्होंने सेना की मदद से पूरी यूनिट को इस संकट की घड़ी से बाहर निकाला। हालांकि बाद में घोड़ा मालिकों के संघ ने ऋषि कपूर से अपनी इस हरकत के लिए माफी मांगी थी, लेकिन फिर कोई भी लंबे समय तक वहां शूटिंग के लिए जाने की हिम्मत नही जुटा पाया।
चलते चलते
“कभी-कभी” फिल्म मैं ऋषि कपूर द्वारा पहनी गई जर्सियों को दर्शकों ने बेहद पसंद किया था। उसके बाद तो जैसे उनकी पहनी गई जर्सियाँ भी उनकी लोकप्रियता का एक कारण बन गई थी। प्रशंसकों को उनके द्वारा पहनी गई विभिन्न तरह की जर्सी को देखने और उनको प्राप्त करने की हसरत बनी रहती थी। ऋषि कपूर द्वारा पहनी गई इन जर्सियो की विविधता 70 से 80 के दौरान अधिकांश फिल्मों में देखी जा सकती है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये सभी जर्सियाँ उनकी निजी संपत्ति थीं और तब तक यह भारत में उपलब्ध नहीं होती थी। शूटिंग के दौरान वे जब भी विदेशों में जाते और उनको जहां कहीं भी अच्छी जर्सी मिलती उसको खरीद लाते थे। एक समय ऐसा भी था कि उनके पास लगभग 600 जर्सियाँ इकठ्ठी हो गई थीं। प्रशंसकों को लगता था कि शायद यह जर्सियाँ विशेष तौर पर उनके लिए बनाई जाती है लेकिन ऐसा नहीं था। बाद में बहुत सारी जर्सियाँ लंबे समय तक हैंगर पर टंगे रहने से खराब हो गई थीं जिन्हें उन्हें बाद में फेंक देना पड़ा था।
(लेखक, राष्ट्रीय साहित्य संस्थान के सहायक संपादक हैं। नब्बे के दशक में खोजपूर्ण पत्रकारिता के लिए ख्यातिलब्ध रही प्रतिष्ठित पहली हिंदी वीडियो पत्रिका कालचक्र से संबद्ध रहे हैं। साहित्य, संस्कृति और सिनेमा पर पैनी नजर रखते हैं।)