राष्ट्रीय

चार महीने बाद फिर आमने-सामने बैठे भारत और चीन के सैन्य कमांडर

– 16वें दौर की वार्ता में सैनिकों को पीछे हटाने के लिए दबाव बनाए जाने पर भारत का फोकस

– पूर्वी लद्दाख के चुशूल-मोल्डो मीटिंग पॉइंट पर चीन सीमा में हो रही है सैन्य कोर कमांडर वार्ता

नई दिल्ली, 17 जुलाई। पूर्वी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लगभग दो साल से चल रहे गतिरोध के बीच दोनों देशों के सैन्य कमांडर चार माह बाद रविवार को फिर आमने-सामने बैठे हैं। एलएसी के विवादित इलाकों को सुलझाने के लिए 16वें दौर की यह बैठक चीनी सीमा में पूर्वी लद्दाख के चुशूल-मोल्डो मीटिंग पॉइंट पर आज सुबह 10 बजे से हो रही है। बैठक के बाद देर शाम तक रक्षा मंत्रालय की ओर से साझा बयान आने की संभावना है।

सूत्रों के मुताबिक यह मीटिंग खासतौर से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी की पेट्रोलिंग पॉइंट नंबर 15 पर दोनों देशों के सैनिकों को पीछे किये जाने पर केन्द्रित है। पीपी-15 पर दोनों देशों की एक-एक प्लाटून पिछले दो साल से आमने सामने है। पीपी-15 के अलावा भारत की तरफ से डेप्सांग प्लेन और डेमचोक जैसे विवादित इलाकों के समाधान का मामला भी उठाया जा सकता है। भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच 15वें दौर की बातचीत 11 मार्च को हुई थी। चार माह बाद हो रही नए दौर की वार्ता में टकराव वाले शेष सभी स्थानों से जल्द से जल्द सैनिकों को पीछे हटाने के लिए दबाव बनाए जाने की संभावना है।

भारत की तरफ से सेना की लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिन्दम सेनगुप्ता और चीन की तरफ से दक्षिणी तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक के प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन इस वार्ता में अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पिछले महीने चीन ने अक्साई चिन इलाके में एक बड़ी एयर-एक्सरसाइज की थी। इस दौरान चीनी लड़ाकू विमान भारत के एयर स्पेस के काफी करीब पहुंच गए थे। उस दौरान भारतीय वायुसेना ने लद्दाख स्थित अपने एयर बेस से फाइटर जेट्स को ‘सक्रिय’ किया था। बाद में भारत ने एयरस्पेस का उल्लंघन करने का चीन से विरोध भी दर्ज कराया था। चीनी वायुसेना के युद्धाभ्यास के बाद भारतीय वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के एयर स्पेस में अपनी एयर पेट्रोलिंग बढ़ा दी है।

जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन से इतर बाली में एक घंटे की बैठक में डॉ. एस. जयशंकर ने वांग को पूर्वी लद्दाख में सभी लंबित मुद्दों के शीघ्र समाधान की आवश्यकता से अवगत कराया था। उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित होने चाहिए। टकराव वाले कुछ स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाए जाने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए शेष सभी क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तेजी लाने की आवश्यकता को दोहराया था।

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