गुरुग्राम: जजों को सत्य बोलने से घबराना नहीं चाहिए: जस्टिस नरेंद्र जैन
गुरुग्राम, 17 अक्टूबर। भारत सरकार में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग के चेयरमैन जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने कहा कि जैन समाज धर्म के काम में आगे है। धर्म के साथ-साथ ऐसे काम भी करें, जिससे कि सभी को लाभ मिले। कोरोना महामारी में जो हालात हुए, उनसे सीख लेकर अब जैन समाज को बड़े अस्पतालों का भी निर्माण करना चाहिए। यह बात उन्होंने यहां जैन बारादरी में परम पूज्य राष्ट्र संत मुनि श्री 108 विहर्ष सागर जी महाराज के सानिध्य में आयोजित जैन एकता एवं सल्लेखना चर्चा संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कही।
विहर्ष सागर जी महाराज ने कहा कि हमें अपनी जिम्मेदारियां समझनी होंगी। इससे समाज में एकता भी होगा और बहुत सारी समस्याओं का समाधान कर पाएंगे। दिगम्बर जैन समाज के प्रधान नरेश जैन से सभी अतिथियों का स्वागत व सम्मान किया। मंच संचालन जैन समाज के प्रवक्ता अभय जैन ने किया। कार्यक्रम के संयोजक अंकित जैन रहे।
जस्टिस जैन ने कहा कि हमारे देश में धर्म के साथ अधर्म की भी छूट है। आज ऐसे लोग समाज में अग्रणी हैं, जो खुद शिक्षित होकर कामयाब नहीं हो पाए। ऐसे लोग यूनिवर्सिटी, कालेज चला रहे हैं। उनके जानने वाले भी बहुत ऐसे लोग हैं, जो टीचर, क्लर्क के लायक नहीं, वे यूनिवर्सिटी चला रहे हैं। गत चार वर्षों से आयोग में चेयरमैन जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन इस बात को भी जिम्मेदारी के साथ कहा कि हमारे देश में अल्पसंख्यक की परिभाषा (माइनॉरिटी डिफाइन) सही नहीं है।
संविधान का मतलब सम-विधान है, लेकिन विधान-सम नहीं है। सही मायने में तो संविधान हमारे देश में लागू ही नहीं है। यूनिवर्सल जैन लायर एसोसिएशन (उजला) के प्रधान वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन, उजला के महासचिव वरिष्ठ अधिवक्ता अजयवीर सिंह जैन के अलावा डा. चक्रेश जैन, डा. संजय जैन, रितेश जैन, डा. इंदु जैन, कमलेश जैन, नीरू जैन आदि वक्ताओं ने जैन एकता एवं सल्लेखना पर अपने विचार रखे।