जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अध्ययन में मददगार हो सकते हैं महाराष्ट्र में मिले लाखों साल पुरानी चट्टानें
नई दिल्ली, 19 जनवरी। महाराष्ट्र के ठाणे के मंजारे गांव में एक दुर्लभ कम ऊंचाई वाले लाखों साल पुराने बसाल्ट पठार की खोज की गई है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस पठार में मिले 24 वर्गों के पौधों और झाड़ियों की 76 प्रजातियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जानकारी जुटाई जा सकती है।
पश्चिमी घाट में ठाणे क्षेत्र में खोजे गए इस पठार से 24 अलग-अलग वर्गों के पौधों और झाड़ियों की 76 प्रजातियों को रिकॉर्ड किया गया है। यह बसाल्ट पठार भारत में चार वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है जो प्रजातियों के अस्तित्व पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने में मदद कर सकता है। इसके साथ इसके संरक्षण आवश्यकताओं और वैश्विक संदर्भ में उनके विशाल जैव विविधता की उपयोगिता के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकता है।
पुणे में आगरकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई) के वैज्ञानिक डॉ. मंदार दातार के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम ने हाल ही में ठाणे जिले के मंजारे गांव में एक दुर्लभ कम ऊंचाई वाले बेसाल्ट पठार की खोज की। यह इस क्षेत्र में पहचाना जाने वाला चौथा प्रकार का पठार है, पिछले तीन उच्च और निम्न ऊंचाई पर लेटराइट और उच्च ऊंचाई पर बसाल्ट हैं। यह टीम इन पठारों की जैव विविधता का अध्ययन कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि पश्चिमी घाट चार वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है, और पुणे में अघारकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई) एक दशक से इसकी जैव विविधता, विशेष रूप से इसके रॉक आउटक्रॉप्स( खाली चट्टानों ) का अध्ययन कर रहा है। रॉक आउटक्रॉप्स में मौसमी पानी की उपलब्धता, सीमित मिट्टी और पोषक तत्व होते हैं, जो उन्हें प्रजातियों के अस्तित्व पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए आदर्श प्रयोगशाला बनाते हैं।