राष्ट्रीय

दुनिया ने भारत को सैन्य शक्ति और बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पहचाना : रक्षा मंत्री

– उद्योग के माध्यम से समृद्धि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प का आधार

– सैनिक भौतिक सीमा की और संत कर रहे हैं भारतीय संस्कृति की रक्षा

नई दिल्ली, 30 दिसंबर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया आज भारत को सैन्य शक्ति के रूप में पहचानती है, क्योंकि सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए जोर दे रही है। आज भारत अपनी मेहनत और उद्यमशीलता की वजह से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आज भारत दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्था बन गया है। उद्योग के माध्यम से समृद्धि भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प का आधार है।

राजनाथ सिंह शुक्रवार को केरल में तीर्थदानम महोत्सव मनाने के लिए शिवगिरी मठ में एकत्रित संतों और विद्वान बुजुर्गों की सभा को संबोधित कर रहे थे। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह श्री नारायण गुरु की दूरदर्शिता थी कि उन्होंने शिवगिरी मठ को शिक्षा, स्वच्छता आदि जैसे विषयों पर आम लोगों में जागरुकता फैलाने का आदेश दिया। गुरुजी की कृपा और पूज्य संतों के आशीर्वाद से हमारी सरकार ने भी इन विषयों पर विशेष ध्यान दिया है। सैनिक संत की अवधारणा का आह्वान करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि एक रक्षा मंत्री के रूप में वह सैनिकों के शौर्य और पराक्रम के बल पर देश की भौतिक सीमाओं को सुरक्षित कर रहे हैं, उसी प्रकार संत सैनिक देश की संस्कृति की रक्षा कर रहे हैं।

उन्होंने संतों से कहा कि अगर हम देश के शरीर की रक्षा कर रहे हैं, तो आप इस देश की आत्मा की रक्षा कर रहे हैं। एक राष्ट्र अनंतकाल तक तभी जीवित रह सकता है, जब उसका शरीर और आत्मा दोनों सुरक्षित हों। राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। आत्मनिर्भरता के इस संदेश को श्री नारायण गुरुजी ने अपने उपदेशों से जन-जन तक पहुंचाया और आज शिवगिरी मठ भी इसे निरंतर आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत और उद्यम के माध्यम से आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है।

समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व से सरोकार न रखने वाली भारतीय परंपरा, सोच और दर्शन की आलोचना को खारिज करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की मानव समानता और बंधुत्व की अवधारणा प्राचीन साहित्य, परंपरा और सोच में प्रचलित रही है। भारतीय परंपरा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ यानी ‘पूरी दुनिया एक परिवार है’ के रूप में मनुष्य और जानवरों के बीच समानता, बंधुत्व और एकता को देखती है जबकि पश्चिमी सभ्यता केवल मनुष्यों के बीच समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की बात करती है। यही कारण है कि भारत को प्राचीन काल में विश्वगुरु के रूप में मान्यता दी गई थी।

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