अनंगताल की सफाई और सौंदर्यीकरण का काम अगले सप्ताह होगा शुरू
नई दिल्ली, 21 मई । राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) का ऐतिहासिक अनंगताल की सफाई और सौंदर्यीकरण का काम अगले सप्ताह शुरू होगा। शनिवार को डीडीए की टीम ने ऐतिहासिक जलाशय का दौरा किया और अगले हफ्ते ही इस ताल की सफाई का काम शुरू करेगा।
इस दौरे में एनएमए अध्यक्ष तरुण विजय, डीडीए वीसी मुकेश गुप्ता, आयुक्त मनीषा और राजीव तिवारी शामिल हुए। इस क्षेत्र के विस्तृत सर्वेक्षण में 1200 साल पुरानी ऐतिहासिक मिनी झील में सीवेज नालियों को खाली करने के अलावा कई अतिक्रमण पाए गए। एनएमए के अध्यक्ष तरुण विजय ने कहा कि ऐतिहासिक सत्य को उजागर करने का समय आ गया है। एनएमए दिल्ली के संस्थापक राजा के बारे में तथ्यों को सामने लाने में सफल रहा है। इस शहर को पहले ढिल्लिकापुरी के नाम से जाना जाता था, जैसा कि लॉर्ड कनिंघम द्वारा खोदे गए पत्थर के शिलालेखों से पता चलता है। ये पत्थर शिलालेख ब्रिटिश काल के एएसआई अधिकारियों को नई दिल्ली के निर्माण के दौरान पालम, नारायणा और सरबन (रायसीना) में मिले थे।
उन्होंने कहा कि दिल्ली कब्रिस्तानों का शहर नहीं है, जैसा कि इतिहास में बताया गया है। यह सिख गुरु तेगबहादुर साहब और बंदा सिंह बहादुर, बाबा बघेल सिंह, मराठा प्रमुख महादाजी शिंदे जैसे योद्धाओं द्वारा आनंद, कला, संस्कृति और बलिदान का एक महान शहर है, जिन्होंने दिल्ली को जीत लिया और मुगलों को हराया।
अनंगताल में 1993 में एएसआई द्वारा अनुभवी पुरातत्वविद् डॉ बीआर मणि के निरीक्षण में खुदाई की गई थी। क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण नक्शा, जिसमें ताल की ओर जाने वाली सुंदर सीढ़ियां और इसके माप शामिल हैं, एएसआई के पास हैं।
27 हिन्दू -जैन मंदिरों को तोड़ कर बनवाई गई थी कुतुब मीनार
पुरातत्वविद डॉ. बी आर मणि ने हिन्दुस्थान समाचार के साथ बातचीत में बताया कि महरौली में की गई खुदाई से कई तथ्य उजागर हुए हैं। दिल्ली के संस्थापक राजा महाराजा अनंग पाल तोमर ने 1052 ई. में 27 हिंदू-जैन मंदिरों के पीछे अनंगताल बनवाया था। अनंग पाल द्वारा निर्मित विष्णु मंदिर के सामने विष्णु गरुड़ध्वज है, जिसे लौह स्तंभ कहा जाता है। बाद में इन मंदिरों को कुतुबुद्दीन ऐबक ने धराशायी कर दिया था। लौह स्तंभ के पास जामी मस्जिद का निर्माण करवाया गया, जिसे कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद के रूप में जाना जाता है।