अस्ताचलगामी सूर्य को आज दिया जाएगा पहला अर्घ्य, उमड़ेगी आस्था
सोनीपत, 29 अक्टूबर । छठ महापर्व के दूसरे दिन शनिवार को खरना पूजन का आयोजन किया गया । खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास भी शुरू हो गया। जिले के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले पूर्वांचल के श्रद्धालु रविवार (30 अक्टूबर) को भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्य व सोमवार (31 अक्टूबर) की सुबह उगते सूर्य देवता को प्रात:कालीन अर्घ्य देंगे। छठ पूजा के मद्देनजर श्रद्धालुओं ने सब्जी मंडी व अन्य बाजारों में पूजन सामग्री व फलों की जमकर खरीददारी की।
दरअसल खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण। इसे लोहंडा भी कहा जाता है। खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाने की परंपरा है। महिलाओं और छठ व्रतियों ने सुबह स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण किए। व्रतियों ने दिन भर व्रत रखा। व्रतियों ने शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद तैयार किया। इसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाओं ने इस प्रसाद को ग्रहण किया। उनके खाने के बाद ये प्रसाद घर के बाकी सदस्यों में बांटा गया। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू गया। मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मइया) का आगमन हो जाता है। उधर, पूर्वांचलवासियों की संस्था पूर्वी जन कल्याण समिति के सदस्य शहर के विभिन्न कलोनियों में बने स्थाई व अस्थायी घाटों की सफाई कर उसकी सजावट में जुटे रहे। सोनीपत शहर के कबीरपुर, बाबा कालोनी, ओल्ड हाउसिंग बोर्ड एक्सटेंशन कॉलोनी, एटलस मंदिर, जीवन नगर स्थित राम मंदिर, राई के दुर्गा कालोनी, बीसवां मील, कुंडली, यमुना के मीमारपुर घाट, गढ़मिरकपुर घाट, पश्चिमी यमुना लिंक नहर, बेगा घाट, रोहट नहर आदि जगहों समिति के कार्यकर्ताओं के साथ ही भाजपा पूर्वांचल प्रकोष्ठ के कार्यकर्ता दिनभर सफाई में जुटे रहे। पूर्वी जन कल्याण समिति के सचिव प्रभात चौधरी ने कहा कि लोक आस्था का महापर्व छठ की अपनी विशेषता है और इस त्योहार को लेकर लोगों में अलग ही उत्साह व भक्ति का माहौल देखा जाता है। यह त्योहार समाजिक समरसता का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है। घाट पर सभी लोग एक साथ छठ मनाते हैं। यहां बड़े-छोटे, अमीर-गरीब सभी का फर्क भी मिटता है और यहां सभी वर्ग के लोग बराबर होते हैं।
श्रद्धालुओं ने की पूजन सामग्री व फलों की खरीदारी :
छठ पूजा को लेकर शहर के सब्जी मंडी, राई व कुंडली के बाजारों में दिनभर भीड़ की स्थिति रही। देर शाम तक लोगों ने छठ पूजा की सामग्री की खरीददारी की। छठ पूजा को लेकर बाजारों में सूप, डाली के अलावे ईंख, केला घौर, नारियल, सेव, संतरा, शकरकंद, खीरा, हल्दी अदरक आदि समाानों से बाजार पूरी तरह से सजा था। फल के अलावे अगरबती, पान सुपाड़ी, धूप, मोमबती, गुड़, चावल, घी आदि सामग्री के दुकानों पर भी खरीददारी के लिए लोग जुटे थे। दरअसल अर्घ्य में नए बांस से बने सूप व डाला का प्रयोग किया जाता है। सूप को वंश की वृद्धि और वंश की रक्षा का प्रतीक माना जाता है। ईख को आरोग्यता का प्रतीक माना जाता है। लीवर के लिए ईख का रस काफी फायदेमंद माना जाता है। जबकि आटे और गुड़ से बना ठेकुआ समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। छठ पूजा में ऋ तुफल का विशेष महत्व है। व्रती मानते हैं कि सूर्यदेव को फल अर्पित करने से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है।