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उत्तराखंड : औली ने ओढ़ी बर्फ की खूबसूरत चादर, बिना पर्यटकों के वीरान सा है हिमक्रीड़ा स्थल

जोशीमठ, 21 जनवरी। उत्तराखंड के विश्व विख्यात हिमक्रीड़ा स्थल औली ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ कर पर्यटकों को अपनी आकर्षित करने का तो खूब प्रयास किया, लेकिन देश-विदेश के जो पर्यटक औली मेंं बर्फबारी का इंतजार कर रहे थे वे जोशीमठ भू धंसाव की डरावनी तस्वीर और खबरों के कारण औली का रुख नही कर पा रहे हैं। इससे सरकार की अब तक की सारी कवायद बेकार हो गयी है।

औली की खूबसूरत वादियों का दीदार करने को आतुर पर्यटक औली में बर्फबारी के बारे में पूछताछ तो कर रहे हैं लेकिन जोशीमठ पहुंचकर सड़क मार्ग से औली पहुंचने की बात करते ही पर्यटक अपना कार्यक्रम ही बदल दे रहे हैं। इससे स्थानीय व्यवसायी, प्रशासन और शासन भी असहज महसूस कर रहा है। चारधाम यात्रा से उत्साहित स्थानीय लोगों, व्यवसायियों और सरकार के माथे जोशीमठ के भू धंसाव की आपदा से सरकार की कवायद को धक्का लगा है।

जोशीमठ भू धंसाव की त्रासदी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने जिस प्रकार भयभीत करने वाले समाचारों को परोसा, उससे पर्यटन व्यवसाय पर बहुत बुरा असर पड़ा है। हालांकि जोशीमठ को भू धंसाव से काफी नुकसान हुआ है, लेकिन इससे पूरा जोशीमठ अब रहने लायक ही नहीं रह गया, ऐसा भी नहीं है। प्रभावित परिवार जोशीमठ में ही विभिन्न स्थानों पर रह रहे हैं।

इस त्रासदी में प्रभावित हुए परिवारों की पीड़ा को समझा जा सकता है। पुलना-भ्यूंडार,केदारनाथ एवं रैणी-तपोवन की आपदा के बाद भी लोग संवर रहे हैं, जोशीमठ में देशभर के भू वैज्ञानि,भू-भौतिकी अनुसंधान संस्थान सहित अनेक एजेंसियां सर्वे कार्य में जुटी हैं ताकि धार्मिक एवं पर्यटन नगरी जोशीमठ के अस्तित्व को बचाते हुए संवारा जाये।

भू धंसाव के बाद जोशीमठ का न केवल पर्यटन व्यवसाय बल्कि बाज़ार भी बुरी तरह प्रभावित हो गया है, मकानों से किराएदार खाली हो चुके हैं,सेना के जो लोग परिवार के साथ सिविल एरिया में रहते थे, वे भी मकानों को छोड़कर अपने घरों या सेना छावनी क्षेत्र में चले गए हैं। बाज़ार से रौनक ही गायब हो गई है।

विश्व विख्यात हिमक्रीड़ा केन्द्र औली जहां के लिए मौसम विभाग की बर्फबारी की पूर्व चेतावनी जारी होते ही पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ता था। शानदार बर्फबारी के बावजूद औली सूनी पड़ी है।

शनिवार को चटक धूप के बाद भी औली में गिने चुने पर्यटक ही नजर आए। भू धंसाव की आशंका की चपेट में आए रोप वे को पहले ही बंद कर दिया था। अब सड़क मार्ग ही औली पहुंचने का एकमात्र विकल्प है।

जोशीमठ-औली सड़क अब बीआरओ को हस्तांतरित हो गई है। जोशीमठ से औली तक डामरीकरण भी हुआ है और बर्फबारी के तुरन्त बाद बीआरओ ने औली सड़क से बर्फ हटाने का कार्य भी शुरू कर दिया है। इसके अलावा बीआरओ ने बर्फ और पाले को पिघलाने के लिए नमक व यूरिया का छिड़काव भी किया है।

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