राष्ट्रीय

डीसीडब्ल्यू ने पैरोल और सजा में छूट की नीतियों का अध्ययन शुरू किया

-दिल्ली सरकार को जारी किया नोटिस

नई दिल्ली 11 नवंबर दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने देश में मौजूद पैरोल और छूट नीतियों का अध्ययन शुरू किया है। डीसीडब्ल्यू विभिन्न राज्यों की सम्बंधित नीतियों का अध्ययन करेगा जिसके तहत दोषियों को सजा में छूट और पैरोल दी जाती है।

इस संबंध में डीसीडब्ल्यू ने दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल को नोटिस जारी कर जघन्य अपराधों के दोषियों के लिए सजा में छूट और पैरोल नीतियों और दिल्ली राज्य में उनके कार्यान्वयन के बारे में जानकारी मांगी है। डीसीडब्ल्यू इस संबंध में दिल्ली सरकार के साथ-साथ भारत सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगा।

डीसीडब्ल्यू ने हाल के मामलों के सन्दर्भ में यह अध्ययन शुरू किया है, जिसने सिस्टम में उन खामियों को उजागर किया है। जिससे रसूखदार दोषी नीतियों में हेरफेर कर अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के लिए, 2002 में बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसके तीन साल के बेटे और परिवार के सात अन्य सदस्यों की हत्या कर दी गई थी।

अदालत द्वारा 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा देने के बावजूद, उन्हें इस साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने 1992 की छूट नीति का हवाला देते हुए छोड़ दिया, जिसने कैदियों को उनकी सजा में कमी के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी।

साथ ही, हाल ही में हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पैरोल पर रिहा किया, जो बलात्कार और हत्या का दोषी है और रोहतक की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। बाद में उसने कई ‘प्रवचन सभाओं’ का आयोजन किया और खुद को बढ़ावा देने वाले संगीत वीडियो जारी किए, जिसमें कई वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों ने भाग लिया।

डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इन घटनाओं को बहुत चिंतित करने वाला करार दिया है और कहा है कि देश में सजा में छूट, पैरोल और फरलो के मौजूदा नियम और नीतियां भी बेहद कमजोर हैं और राजनेताओं और रसूखदार दोषियों द्वारा अपने फायदे के लिए इसका आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है।

वहीं तिहाड़ जेल को भेजे गए नोटिस में डीसीडब्ल्यू ने पैरोल और फरलो के लिए दोषियों की रिहाई की नीति का ब्योरा मांगा है। डीसीडब्ल्यू ने जघन्य अपराधों के दोषियों का विवरण भी मांगा है, जिन्हें 2018 से पैरोल और फरलो दिया गया है, साथ ही उन दोषियों का विवरण भी मांगा है, जो पैरोल और फरलो से अधिक समय तक रहे हैं। डीसीडब्ल्यू ने गृह विभाग और तिहाड़ जेल को 21.11.2022 तक आवश्यक सूचना उपलब्ध कराने को कहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker