बिहार

बिहार : चमकी बुखार से निपटने के लिए सरकार ने बनाया एक्शन प्लान

-11 जिलों में शिशु देखभाल इकाई को किया जायेगा मजबूत

पटना/मुजफ्फरपुर। बिहार में गर्मी का प्रकोप बढ़ने के साथ ही चमकी बुखार ने भी अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। हालांकि, राज्य सरकार इसको लेकर बेहद सतर्क है। बिहार सरकार ने चमकी से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर एक्शन प्लान बनाया है, ताकि बच्चों को इस बीमारी से बचाया जा सके। साथ ही बीमार हुए बच्चों का उचित इलाज हो सके।

उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, वैशाली और सीतामढ़ी में अपना प्रभाव दिखाने वाली इस जानलेवा बीमारी से गुरुवार तक की रिपोर्ट के मुताबिक दो की मौत हुई हैं, जबकि 18 बच्चे इस बीमारी की चपेट में अब तक आए हैं।

इस बाबत राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि अति गंभीर, एइएस-जेई (चमकी बुखार) से पीड़ित बच्चों के त्वरित एवं उचित इलाज के लिए राज्य के 11 जिलों में स्थापित शिशु गहन देखभाल इकाई (पीकू) को और भी सुदृढ़ किया जा रहा है। इलाज के लिए विशेषज्ञों से सलाह के लिए टेली मेडिसिन की सुविधा इन संस्थानों में प्रदान की जायेगी। पीकू में एइएस एवं जेई के साथ एक माह से 12 साल के अति गंभीर पीड़ित बच्चों का भी उपचार किया जायेगा।

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि उक्त क्रम में जिला अस्पताल स्तर पर स्थापित पीकू में कार्यरत शिशु रोग विशेषज्ञ, चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ एवं लैब टेक्निशियन को 16 अप्रैल से प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो 25 अप्रैल तक अलग-अलग अस्पतालों में चलेगा। प्रशिक्षण के बाद टेली आईसीयू काउंसलिंग की सुविधा को सफलतापूर्वक चलाया जा सकेगा।

प्रशिक्षण के लिए छह जिलों के जिला अस्पताल को चिह्नित किया गया है। इनमें तीन जिले क्रमशः जिला अस्पताल गोपालगंज में 16, समस्तीपुर में 18 और वैशाली में 19 अप्रैल को प्रशिक्षण संपन्न हो चुका है। उन्होंने कहा कि गुरुवार यानी आज पूर्वी चंपारण, 22 अप्रैल को सीतामढ़ी और 25 अप्रैल को जिला अस्पताल मुजफ्फरपुर में प्रशिक्षण चलेगा।

मंगल पांडेय ने कहा कि यह सुविधा शुरू हो जाने से न सिर्फ एइएस पीड़ित बच्चों का इलाज संभव होगा, बल्कि कई अन्य रोगों के कारण बच्चों में होने वाली मौतों को भी कम किया जा सकेगा।उन्होंने कहा कि सरकार की तत्परता की वजह से यह बीमारी अभी तक अपना प्रभाव प्रदेश में नहीं जमा पाई है।

उन्होंने कहा कि एम्स, पटना से उक्त जिलों को शिशु टेली आईसीयू कंसलटेशन सेवा से जोड़ा जायेगा। अनुभवी व विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा टेली काउंसलिंग का प्रशिक्षण मिलने से ऐसे पीड़ित बच्चों को बेहतर चिकित्सा मिल पाएगी, जिससे अति गंभीर परिस्थिति वाले बच्चों का उपचार जिले में संभव हो पाएगा।

इस बीमारी के केंद्र बिंदु माने जाने वाले मुजफ्फरपुर-एसकेएमसीएच अस्पताल के शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि अब तक मेडिकल कॉलेज में 18 बच्चे भर्ती हुए है, जिसमें से 16 बच्चे ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। दो बच्चों की मौत हुई थी जो सीतामढ़ी और वैशाली जिले के रहने वाले थे।

उन्होंने बताया कि इस बीमारी में तेज बुखार, सिर दर्द, उल्टी, भ्रम, भटकाम, बात करने में असमर्थता, बेहोशी और बदन में ऐंठन आती है। इसमें से कोई भी लक्षण हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए बच्चों को उन उन जगहों पर नहीं जाने दें, जहां सुअर रहते हैं। खाने से पहले और बाद में हाथों को साबुन से अच्छे से धुलवाएं, बच्चों के नाखून बढ़ने न दें,बच्चों को हेल्दी खाना खिलाएं और बच्चों को तरल पदार्थ देते रहें, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।

प्रत्येक पंचायत के साथ ऑटो-रिक्शा जोड़ा

स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक विनय कुमार शर्मा ने बताया कि चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के परिवार को परिवहन लागत के रूप में 400 से 1,000 रुपये देंगे, ताकि उन्हें निकटतम स्वास्थ्य सुविधा में पहुंचने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि हमने इसके लिए प्रत्येक पंचायत के साथ एक ऑटो-रिक्शा जोड़ा है। इसे निकटतम सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ मैप किया है।’

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