राष्ट्रीय

 पद्मभूषण और रोमन मैग्सेसे से सम्मानित गांधीवादी इला भट्ट का निधन

अहमदाबाद (गुजरात) , 02 नवंबर। अहमदाबाद के स्वाश्रयी महिला सेवा संघ की संस्थापक इला भट्ट का बुधवार को अहमदाबाद में निधन हो गया। वे 89 वर्ष की थी। इला बेन के नाना प्रख्यात चिकित्सक और स्वतंत्रता सेनानी थे। इनके तीन मामा भी स्वतंत्रता सेनानी थे। पूरा परिवार महात्मा गांधी से गहरे रूप से प्रभावित था।

सूरत के एमटीबी कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य से स्नातक करने के बाद वे अहमदबाद लॉ करने चली आईं। यहां उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए जीवन पर्यंत काम किया। इन्हें पद्मभूषण समेत रोमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया गया।उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी हैं।

इला रमेश भट्ट का जन्म 07 सितम्बर, 1933 को अहमदाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम सुमंतराय भट्ट तथा उनकी माता का नाम वानालीला व्यास था। उनके पिता कानून के जानकार थे। इला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सार्वजनिक गर्ल्स हाईस्कूल, सूरत से प्राप्त की थी। उन्होंने 1952 में अपनी स्नातक की डिग्री एमटीबी कॉलेज, सूरत से प्राप्त की। इसके बाद अहमदाबाद के ‘सर एल.ए. शाह लॉ कॉलेज में प्रवेश लिया। यहां से 1954 में कानून की डिग्री प्राप्त की। हिन्दू कानून पर किए गए सराहनीय कार्य के लिए उन्हें स्वर्ण पदक प्रदान किया गया ।

इला रमेश भट्ट ने बतौर वकील अपना काम शुरू किया। वह गांधी के विचारों से प्रभावित थीं। इस वजह से महिला आत्मनिर्भरता पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। कुछ समय के लिए वे श्रीमती नाथी बाई दामोदर ठाकरे वुमन यूनीवर्सिटी में अंग्रेजी पढ़ाने के बाद 1955 में अहमदाबाद की एक इकाई की ‘टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन’ के लॉ विभाग में आ गईं और वहीं उनमें यह चेतना उभरी कि कामकाजी महिलाओं के हित में काम करना चाहिए।

• 1977 में इला रमेश भट्ट को सामुदायिक नेतृत्व श्रेणी में ‘मैग्सेसे पुरस्कार’ दिया गया।

• 1984 में उन्हें स्वीडिश पार्लियामेंट से ‘राइट लाइवलीहुड’ अवार्ड मिला।

• इला रमेश भट्ट को भारत सरकार द्वारा 1985 में ‘पद्मश्री’ और 1986 में उन्हें ‘पद्मभूषण’ से अलंकृत किया गया।

• जून, 2001 में हावर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें ‘आनरेरी डॉक्टरेट’ की उपाधि प्रदान की।

• 2010 में जापान के प्रतिष्ठित ‘निवानो शांति पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया है। इला को यह पुरस्कार भारत में 30 वर्ष से अधिक समय से गरीब महिलाओं के विकास और उत्थान के कार्यों व महात्मा गांधी के मार्ग का अनुसरण करने के लिए दिया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker