राष्ट्रीय

लोकतंत्र में संसदीय संस्थाओं की भूमिका कल्पतरू वृक्ष की तरह : प्रधानमंत्री

– पीएम मोदी बोले, बिहार आगे बढ़ेगा तो देश भी आगे बढ़ेगा

पटना, 12 जुलाई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को विधानसभा के शताब्दी समारोह के समापन के अवसर पर विधानसभा में अपने संबोधन में कहा कि जब बिहार आगे बढ़ेगा तो देश भी आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सौ साल की यह यात्रा आने वाले सौ साल के लिए ऊर्जा का स्रोत बने। पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में संसदीय संस्थाओं की भूमिका कल्पतरू वृक्ष की तरह की होती है। बिहार विधानसभा इस भूमिका को निभाती रहे, ये मेरी कामना है।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत करता हूं। बिहार का यह स्वभाव है कि जो बिहार से स्नेह करता है, उसे बिहार कई गुणा करके लौटाता है। ये केवल समय का संयोग नहीं है कि बिहार विधानसभा भवन का शताब्दी चल रहा है और देश की आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है। पीएम ने कहा कि जो लोग बोलते हैं कि भारत को लोकतंत्र विदेशी हुकूमत ने दिया, उन्हें बिहार के इतिहास और विरासत पर नजर डालनी चाहिए। बिहार के वैशाली में तब से लोकतंत्र कायम है, जब दुनिया के अधिकांश क्षेत्र जनतंत्र की समझ विकसित कर रहे थे।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र की मां है ये बात बिहार के लोगों को दोहराते रहना चाहिए। बिहार ने दुनिया को लोकतंत्र के आदर्शों पर चलना सिखाया। इस विधानसभा भवन ने इतिहास का निर्माण किया है। वी आर द मदर ऑफ डेमोक्रेसी। दुनिया के लिए 21वीं सदी भारत के लिए हैं। भारत के लिए यह सदी कर्तव्यों की सदी है। हमें आगामी 25 वर्षों में स्वर्णिम लक्ष्य पर पहुंचना है। हमें स्वयं अपने समाज, देश के लिए कर्तव्य की पराकाष्ठा को पार करना होगा।

पीएम ने कहा कि आजादी के बाद इसी विधानसभा में जमींदारी उन्मूलन अधिनियम पास हुआ। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नीतीश सरकार ने बिहार पंचायती राज जैसे अधिनियम को पास किया। इस अधिनियम के जरिए बिहार पहला ऐसा राज्य बना जिसने पंचायती राज में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद ने 1500 से ज्यादा कानूनों को खत्म किया है। इन कानूनों से लोगों को दिक्कत होती थी, उसका समाधान हुआ और लोगों का विश्वास बढ़ा। राज्यों में अभी भी कई कानून हैं जिनको देखने की जरूरत है। आजादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा जी ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी।

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