कॉमनवेल्थ खेलो में फ्री स्टाइल में कुश्ती में स्वर्ण पदक जितने पर नवीन के गांव पुगथला में खुशी का माहौल
— नवीन के पिता को दे रहे है ग्रामीण, मां का कहना कि खुशी का नही है ठिकाना
गन्नौर। कॉमनवेल्थ खेलो में 74 किलो ग्राम फ्री स्टाइल में गन्नौर के गांव पुगथला के साधारण परिवार में जन्में नवीन मलिक ने स्वर्ण पदम जीता। नवीन ने फ्री स्टाइल रेसलिंग में मुहम्मद शरीफ ताहिर को हराकर स्वर्ण पदक पर कब्जा कर अपने देश, प्रदेश व गांव का नाम रौशन किया। नवीन के पदम जितने की खुशी में उनके गांव में खुशी का माहौल है। पदक जीतने की खुशी में गांव में खुशी का माहौल है। नवीन के पिता धर्मपाल मलिक, मां गुणवती, भाई प्रवीन व बहन कविता, अंजू, बबीता को परिजनों ने बधाई दी। उनके घर पर खुशी का माहौल है। नवीन के पिता एक साधारण किसान है और खेतों मे ही मकान बनाकर रहते है। नवीन के पांच भाई बहनों में सबसे छोटा है। तीन बहने है जो बड़ी है उसके बाद प्रवीन और उसके बाद नवीन है। नवीन की माता भी एक गृहणी है और वो नवीन की इस उपलब्धी पर काफी खुश है। नवीन का जन्म गांव पुगथला में 21-11- 2002 को हुआ था। नवीन ने फिलहाल बारहवीं कक्षा के एग्जाम दिए हैं और वह नेवी में कार्यरत हैं। नवीन को बचपन से ही पहलवान बनने का शौक था और उसने 3 साल की आयु से ही खेलना शुरू कर दिया था, क्योंकि उसके पिता व बड़ा भाई प्रवीन भी पहलवानी करते थे।
बेटे की जीत पर इतनी खुशी हुई कि ठिकाना नही है, बचपन से था शौक
अपने बेटे नवीन द्वारा कुश्ती में स्वर्ण पदक जितने पर नवीन के पिता धर्मपाल मलिक ने बताया कि पदक जितने पर उन्हें बहुत खुशी हुई है। बचपन से ही कुश्ती का शौक था। नवीन के पिता धर्मपाल ने बताया कि नवीन को बचपन से ही कुश्ती का शौक था और उसने नौ साल की उम्र में कुश्ती लडनी शुरू कर दी थी। उन्होंने बताया कि नवीन के बड़े भाई भी कुश्ती करते है वो 2016 में अपने बड़े भाई के पास सोनीपत में बलवान के पास कुश्ती सिखने के लिए चला गया। धर्मपाल ने बताया कि उसके बड़े भाई प्रवीन की नौकरी नैवी में लग गई उसके बाद नवीन कुलदीप पहलवान के पास कुश्ती सिखने लगा और उसकी भी नौकरी वर्ष 2022 में नैवी में लग गई अब नवीन भी नैवी में नौकरी करता है।
नवीन पहले भी कई बार जीत चुके है कुश्ती में पदक
पहलवान के पिता ने बताया कि इससे पहले नवीन नेशनल जूनियर में खेलकर सिल्वर पदक लेकर आए थे उसके बाद नवीन ने मंगोलिया में आयोजित सीनियर वर्ग में 70 किलोग्राम भार में गोल्ड़ मेडल जीतकर देश का नाम रौशन किया था। उन्होंने बताया कि इसके बाद नवीन ने कामनवेल्थ के लिए क्वालीफाई किया था उन्हें पूरी उम्मीद है कि वो स्वर्ण पदक लाकर देश प्रदेश व गांव का नाम रौशन करेंगा।
बेटे को पहलवान बनाने में बहुत मेहनत की है, आज सफल हुई
नवीन के पिता धर्मपाल का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे को पहलवान बनाने के लिए बहुत मेहनत की है। बेटे को रोजाना 60 किलोमीटर घर का दूध और घी देने के लिए जाते थे। गोल्ड मेडल जीत कर नवीन ने उनका नाम रोशन कर उनकी मेहनत सफल कर दी है। नवीन जब घर पहुंचेगा तो उसका धूमधाम से स्वागत किया जाएगा।
बेटे का देशी घी का हलवा पसंद है, आने पर हलवा ही खिलाऊंगी
मां गुणमति देवी का कहना है कि उसके बेटे को हलवा बहुत ज्यादा पसंद है और घर आने पर उसे हलवा, लड्डू के साथ पूरी और सब्जी भी खिलाई जाएगी।