दिल्ली हिंसाः आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला हाई कोर्ट ने ऱखा सुरक्षित
नई दिल्ली, 09 सितंबर। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित किया।
आज उमर खालिद की ओर से कहा गया कि किसी भी घटना के समय उमर खालिद मौजूद नहीं था और न ही उसके पास से कुछ बरामद किया गया है। सात सितंबर को दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में अपनी दलीलें पूरी कर लीं थीं। छह सितंबर को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी के व्हाट्स ऐप ग्रुप की चैट के बारे में बताया था, जिसमें कहा गया है कि कह दो हम जामिया से हैं, दिल्ली का चक्का जाम करेंगे। 23 अगस्त को उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हए दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में दलील दी थी कि शाहीन बाग का धरना महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था। धरना और प्रदर्शन स्थल योजनाबद्ध तरीके से मस्जिदों के नजदीक बनाए गए थे। दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि आरोपितों के व्हाट्स ऐप चैट में कहा गया कि धरना स्थलों पर ज्यादा हिन्दुओं को लाया जाए ताकि वो धर्मनिरपेक्ष दिखे। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग का आंदोलन महिलाओं की ओर से किया गया स्वतंत्र आंदोलन नहीं था।
अमित प्रसाद ने कहा था कि दंगे के दौरान हर प्रदर्शन स्थल पर कानूनी मदद के लिए टीम थी। इस टीम का समन्वय डीपीएसजी नामक व्हाट्स ऐप ग्रुप के जरिये किया गया था। उन्होंने कहा था कि हर समय पुलिस ने कार्रवाई की लेकिन उसके तत्काल बाद वकीलों को कानूनी मदद के लिए भेजा गया। प्रदर्शनों में स्थानीय लोगों का समर्थन नहीं था। दूसरे स्थानों से लोगों को लाया जाता था। धरना स्थलों पर भाषण देने के लिए वक्ताओं और रंगकर्मियों को रखा गया था ताकि लोग ऊबें नहीं। यहां तक कि धरनास्थलों को मस्जिदों के नजदीक बनाया गया था।
चार अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि शाहीन बाग का प्रदर्शन नानी और दादी का नहीं था जैसा कि प्रचारित किया गया। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि शाहीन बाग का आंदोलन शरजील इमाम की ओर से एक सुनियोजित तरीके से जुटाए गए संसाधनों द्वारा आयोजित किया गया था। प्रसाद ने कहा था कि प्रदर्शन स्थल पर समर्थकों की संख्या काफी कम थी। कलाकारों और संगीतकारों को बाहर से लाया जाता था ताकि स्थानीय लोग लगातार प्रदर्शन में हिस्सा लेते रहें।
दो अगस्त को अमित प्रसाद ने कहा था कि 13 दिसंबर, 2019 को सबसे पहली हिंसा हुई। ये हिंसा शरजील इमाम की ओर से पर्चे बांटने की वजह से हुई। अमित प्रसाद ने 13 दिसंबर को शरजील इमाम द्वारा जामिया में दिए भाषण का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि शरजील इमाम के भाषण में साफ कहा गया कि उसका लक्ष्य चक्का-जाम था और इस जाम के जरिये दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बाधित करना था। शरजील के भाषण के तुरंत बाद दंगा भड़का। उसके बाद शाहीन बाग में प्रदर्शन का स्थल बनाया गया। उल्लेखनीय है कि अमित प्रसाद 1 अगस्त से दलीलें रख रहे थे।