उत्तर प्रदेश

कानपुर में मुलायम सिंह को मिला ‘धरतीपुत्र’ का नाम, चौधरी हरमोहन की कोठी पर बनती थी रणनीति

कानपुर, 10 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन की खबर पर कानपुर में उनके चाहने वालों में शोक की लहर देखी जा रही है। हर कोई उनसे जुड़ी अपनी यादों को ताजा कर रहा है। पूर्व विधायक श्याम बाबू मिश्रा के भाई नरेश मिश्रा का कहना है कि मुलायम का कानपुर से गहरा लगाव था और हमारे भाई के पास अक्सर आते थे। भाई ने ही एकबार रैली में जोश में अचानक धरतीपुत्र मुलायम का नारा लगवा दिया और तब से उनको धरतीपुत्र मुलायम कहा जाने लगा।

इसी तरह चौधरी हरमोहन यादव के पौत्र मोहित यादव भी पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव अक्सर उनकी कोठी पर आते थे। यहां पर दादा हरमोहन के साथ सरकार और संगठन को लेकर फैसले लेते थे।

सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया। इसकी जानकारी मिलते ही उनके चाहने वाले कानपुरवासियों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। हर कोई उनसे जुड़ी यादों को एक दूसरे से साझा कर रहा है। पूर्व राज्यसभा सांसद चौधरी हरमोहन सिंह यादव के पौत्र मोहित यादव बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव का कानपुर से गहरा लगाव था। जब भी कानपुर वह आते थे तो दादा से जरूर मिलने हमारी मेहरबान सिंह पुरवा स्थित कोठी आते थे। चाहे वह सरकार में रहे हों या न रहे हों। हमारी कोठी पर उनका आना जाना तब से रहा जब वे राजनीति में आए और यादव महासभा से जुड़े रहे। उन्होंने सरकार में रहते हुए कानपुर में कई विकास कार्य किये हैं जिसमें गंगा बैराज सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।

मिनी सीएम के नाम से जाने जाते थे हरमोहन

चौधरी हरमोहन सिंह यादव सपा के गठन से पहले से राजनीति में सक्रिय थे। उनके भाई रामगोपाल 1977 में बिल्हौर लोकसभा सीट से सांसद रह चुके थे। सपा के गठन से पहले मुलायम सिंह यादव चौधरी चरण सिंह के साथ थे और तभी से मुलायम सिंह यादव का संपर्क हरमोहन सिंह यादव से हो गया, क्योंकि उन दिनों हरमोहन यादव महासभा से जुड़े रहे। सपा के गठन के बाद से मुलायम सिंह यादव की दोस्ती हरमोहन यादव से ऐसी हुई कि उनकी सहमति से ही सरकार और संगठन के कई फैसले लिये जाने लगे। तीन बार के एमएलसी रहे हरमोहन को सपा ने दो बार राज्यसभा भी भेजा। जब मुलायम सिंह यादव पहली बार सीएम बने तो हरमोहन का इतना रसूख था कि लोग उन्हें ’मिनी सीएम’ कहते थे। मुलायम सिंह यादव ने जब 60 के दशक में पहला चुनाव लड़ा था तो यादव महासभा के जरिए हरमोहन के भाई रामगोपाल ने उनकी काफी मदद की थी। इस चुनाव से दोनों परिवारों के रिश्ते प्रगाढ़ हो गए।

इन्होंने भी साझा की यादें

सपा के वरिष्ठ नेता सुरेन्द्र मोहन अग्रवाल बताते हैं कि नेताजी व्यापारियों के हितों के लिए सदैव तत्पर रहते थे। उन्होंने सरकार में रहते हुए आवश्यक वस्तु अधिनियम को समाप्त कर दिया था। अंबर त्रिवेदी ने बताया कि जुलाई 1993 में स्वतंत्रता सेनानी प्रमुख समाजवादी नेता स्वर्गीय रेवा शंकर त्रिवेदी की धर्मपत्नी सावित्री त्रिवेदी के निधन पर भूसा टोली आवास पर नेताजी मिलने आए थे।

कानपुर देहात के पूर्व सपा जिलाध्यक्ष वीर सेन यादव ने बताया कि मेरे कार्यकाल में 2001 में पुखरायां में सफल रैली मुलायम सिंह यादव की संपन्न हुई थी इस पर उन्होंने बड़ी प्रशंसा की थी। सपा के पूर्व नगर अध्यक्ष चंद्रेश सिंह बताते हैं कि वर्ष 96-97 में डीएवी कालेज के छात्र संघ के शपथ समारोह में नेताजी आए थे। सपा विधायक इरफान सोलंकी, अमिताभ बाजपेई और मोहम्मद हसन रुमी ने कहा कि नेता जी का आशीर्वाद सदैव उन पर बना रहा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे शिवकुमार बेरिया बताते हैं कि नेताजी के मन में हमेशा से एक पीड़ा रहती थी कि कानपुर से उन्हें विधानसभा की सीटें कम मिलती हैं।

कानपुर के पत्रकारों को दी सौगात

मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री रहते हुए कानपुर में तमाम प्रकार के विकास कार्य कराये। इनमें से एक पत्रकारों की मांग पर पत्रकारपुरम बसाना भी रहा। वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि उन्होंने मीडियाकर्मियों की मांग पर कानपुर को पत्रकारपुरम का तोहफा दिया था।

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