उत्तर प्रदेश

उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट प्री-पेड का टेंडर निरस्त करने की मांग

लखनऊ, 12 नवम्बर। प्रदेश में 25000 करोड के स्मार्ट प्री-पेड मीटर के टेंडर को राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने निरस्त करने की मांग की है। उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि इसके लिए बड़ी कंपनियां लाबिंग कर रही हैं और वे चाहती हैं कि यह निरस्त न हो। इसके लिए कुछ बड़े अधिकारी भी लगे हैं, लेकिन इसे जनहित में निरस्त किया जाना चाहिए।

इस संबंध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विगत दिनों स्मार्ट प्रीपेड मीटर की भारत सरकार द्वारा बनाई गई स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन में मीटर की सील की अनिवार्यता को गाइडलाइन से डिलीट किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश में लगभग 25000 करोड के स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर निरस्त ना हो, इसके लिए देश के बड़े निजी घराने पूरा जोर लगा रहे हैं। जबकि केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा बनाई गई गाइडलाइन में साफ लिखा है कि किसी भी टेंडर की प्रक्रिया शुरू होने के बाद उसमें कोई भी बदलाव यदि किया जाता है तो यह बड़ा भ्रष्टाचार माना जाएगा। ऐसे में उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को निरस्त किया जाना जनहित में होगा।

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश की सरकार ने विदेशी कोयला के मामले में केंद्र सरकार की जनविरोधी नीति का विरोध करते हुए विदेशी कोयला न खरीदने का निर्णय लिया था। उसी प्रकार से उत्तर प्रदेश सरकार को आगे आकर पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए अपनी गाइडलइन के अनुसार स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को पुनः निकालना चाहिए, जिससे मीटर निर्माता कंपनियां टेंडर में भाग ले पाए और प्रतिस्पर्धा कायम हो और मीटर की दरें कम हो।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन की कमियों को जब उपभोक्ता परिषद ने उजागर किया तो केंद्र सरकार ऊर्जा मंत्रालय बैक फुट पर आकर उसमें बदलाव कर दिया। अभी भी जो गाइडलाइन केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई है, उसमें एक भी मीटर निर्माता कंपनी टेंडर में भाग नहीं ले पा रहे हैं। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार ने बड़ी चालाकी से उत्तर प्रदेश में आठ कलस्टर में निकाले गए, टेंडर को पहले निरस्त कराया और अपनी गाइडलाइन के अनुसार चार कलस्टर में टेंडर का विज्ञापन कराया। इससे टेंडर की लागत 6000 से 7000 करोड़ के बीच पहुंच गई। चाह कर भी अब कोई मीटर निर्माता कंपनी इस टेंडर में भाग नहीं ले सकती।

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