आध्यात्मिक चिन्तन मानसिक स्वास्थ्य के लिए संजीवनी : प्रो. जीएस तोमर
प्रयागराज, 11 अक्टूबर। विश्व आयुर्वेद मिशन के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. जी एस तोमर ने स्पष्ट किया कि मानस स्वास्थ्य पर चिंतन करना आज के परिदृश्य में अत्यन्त आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच एवं आध्यात्मिक चिन्तन मानसिक स्वास्थ्य के लिए संजीवनी है।
प्रो. तोमर ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रत्येक वर्ष मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने एवं इन समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों के उपचार के दृष्टिगत कार्यक्रम किया जाता है। बताया कि कोविड महामारी के दौरान दुनिया भर में चित्तोद्वेग (एंग्जाइटी) एवं अवसाद (डिप्रेशन) जैसे सामान्य मानस विकार ग्रस्त रोगियों की संख्या में 25 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली।
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में स्वास्थ्य का तात्पर्य मात्र शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित न रहकर मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक पहलुओं का भी सर्व समावेशी स्वरूप है। इस हेतु आयुर्वेद में सदवृत्त एवं आचार रसायन जैसे महत्वपूर्ण अद्रव्यभूत उपादानों का प्रयोग वर्णित है। उन्होंने कहा हमें सकारात्मक भाव से कार्य में प्रवृत्त होना चाहिए। इसके अलावा आयुर्वेद संहिताओं में ब्राह्मी, शंखपुष्पी, गिलोय एवं मुलहठी जैसी चार रसायनों का वर्णन किया गया है। जिनकी कार्यकारिता आज के वैज्ञानिक मापदंडों पर प्रमाणित हो चुकी है।
मोतीलाल मेडिकल कॉलेज के मानस रोग विभागाध्यक्ष प्रो वी.के सिंह ने कहा कि मानसिक रोग प्रत्येक आयु वर्ग, लिंग, सामाजिक आर्थिक स्तर पर किसी को भी हो सकता है। आधी आबादी कभी न कभी इन रोगों की चपेट में आ जाते हैं। इनका उपचार मात्र 5 से 10 प्रतिशत लोगों को मिल पाता है। 90 प्रतिशत रोग इसके उपचार से वंचित हैं। समाज के अधिकांश रोगी इन रोगों को अभिशाप मानते हुए इन्हें छुपाते हैं। इस हेतु जागरूकता अत्यन्त आवश्यक है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकायान्तर्गत काय चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. के.एन मूर्ति ने कहा कि आयुर्वेद में मनोविकारों का विस्तृत वर्णन है। इसके लिए आचार्यों ने ज्ञान, विज्ञान, धैर्य, स्मृति, समाधि, गुरु सेवा एवं वृद्ध सेवा तथा आचार रसायन को उपयोगी बताया है। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज की पूर्व शोध अधिकारी डॉ शांति चौधरी ने कहा कि आजकल किशोर और किशोरियों के मानसिक तनाव में निरन्तर वृद्धि देखने को मिल रही है। एक सर्वेक्षण के अनुसार प्रयागराज शहर मे 15 से 25 वर्ष तक के किशोरों में 18 प्रतिशत लोग किसी न किसी मानसिक विकार से ग्रस्त पाए गए हैं। यह एक चिंता का विषय है। हमें मिलकर इसका हल खोजना होगा।
इसके पूर्व विश्व आयुर्वेद मिशन के सह सचिव डॉ अवनीश पाण्डेय ने भगवान धन्वन्तरी की वन्दना करके अतिथियों का स्वागत किया। बताया कि आयुर्वेद के सुझावों का पालन ही हमें स्वास्थ्य के उस स्वरुप में ले जाता है जिसमें दोष, अग्नि, धातु, और मल-त्याग सन्तुलित हों, इन्द्रिय, आत्मा एवं मन प्रसन्न हों। अंत में डॉ अवनीश पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन तथा शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन किया।