हरियाणा

किसान को दिन हीन व बेचारा कहना उसके स्वाभिमान को ठेस पहुँचाने जैसा है : सतीश छिकारा

* सतीश छिकारा बोले-कृषि क्षेत्र में निजी निवेश व टेक्नालाजी के दरवाजे खुलने से पढ़े-लिखे युवाओं का आकर्षित होना शुभ संकेत

सिद्धार्थ राव, बहादुरगढ। किसानों को दीन-हीन भावना से प्रस्तुत करने की कोशिश होती है लेकिन हमारे किसान भाई-बहन ऐसे नहीं है। किसान दुःखी, बेचारा, भूखा या विपन्न नहीं है, बल्कि इस शब्दावली से बाहर निकलने की जरूरत है। यह बात पत्रकारों से बातचीत करते हुए भारतीय किसान संघ प्रदेशाध्यक्ष सतीश छिकारा ने कही। उन्होंने कहा कि किसान दुःखी, बेचारा, भूखा या विपन्न नहीं है, बल्कि इस शब्दावली से बाहर निकलने की जरूरत है। किसान गरीब हो सकता है, उसकी खेती का रकबा छोटा हो सकता है लेकिन इसके बावजूद वह न केवल अपने परिवार का गुजर-बसर करता है बल्कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देता है। ओर आज किसान की जो दशा है वह देश की अब तक बनी सरकारों की देन है। सतीश छिकारा ने कहा कि बड़े दुःख की बात है जब किसान अपनी फसल बोता है तो उसे इस बात की भी गारंटी नही होती कि उसकी फसल की लागत से ज्यादा कितना उसका मुनाफा होगा। जबकि दूसरी तरफ उद्योग व व्यापारी अपने उत्पाद की कीमत स्वयं तय करते है। मेरी सरकार से प्रार्थना है कि किसान को उंसकी फसल की लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य जोड़कर उसके मूल्य का कानून जल्द से जल्द बनना चाहिए। किसान और किसानी को सम्मान से जोड़ना चाहिए। किसान नेता सतीश छिकारा ने कहा कि किसान की लागत कम हो, उसे तकनीक का समर्थन हो, किसानी में निजी निवेश के दरवाजे खुले हो, किसान महंगी फसलों की ओर जाएं, बाजार की उपलब्धता हो और उसका किसी भी स्थान पर शोषण न हो, इस प्रकार की सरकार की व्यवस्था होना चाहिए और सामाजिक दृष्टि से भी इसे अपनाया जाना चाहिए। नई पीढ़ी के पढ़े-लिखे युवा भी कृषि की ओर आकर्षित होना प्रारंभ हो गए हैं, यह बहुत शुभ संकेत हैं। लेकिन गांवों व गली में भी कृषि क्षेत्र में युवाओं व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है। सतीश छिकारा ने कहा कि कृषि क्षेत्र में भारत दिनों-दिन समृद्धता की ओर अग्रसर हो रहा है। यह समृद्धता और बढ़े, इसके लिए कृषि के समक्ष विद्यमान चुनौतियों पर विचार-विमर्श कर उनका निराकरण करने की आवश्यकता है, जिस पर सरकार का विशेष ध्यान होना चाहिए। 

माँ स्वस्थ होगी तो उस माँ से पैदा होने वाला अंश भी स्वस्थ होगा : सतीश छिकारा

जो पैदा करती है वह माँ होती है। चाहें वह धरती के रूप में हो या धरती पर रहने वाले किसी भी जीव के मादा के रूप हो, अगर माँ स्वस्थ होगी तो उस माँ से पैदा होने वाला अंश भी स्वस्थ होगा। बहुत बड़ी विडंबना है कि हमने अपनी धरती माँ को ज्यादा पैदावार करने की प्रतिस्पर्धा की वजह से जहरीला बना दिया। और आज इसी वजह से हार्ट अटैक व कैंसर जैसी बीमारियां इंसानों पर हांवी होती जा रही है। आज हमे चाहिए सरकारें और किसान भाई बहन मिलकर प्राकृतिक खेती की अग्रसर हो और प्रत्येक प्राणी के जीवन को बचाया जा सके। इस अवसर पर रमेश बराही, राजेश कुमार, वेदपाल, इंद्र फौगाट, महताब सिंह छिकारा, जयप्रकाश डागर, नीरज डागर, संजीव शर्मा, राजबीर राठी, धर्मदेव सिंधु, सतबीर सिंह,  दीपक दलाल, हवा सिंह आदि मौजूद रहे। 

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