राष्ट्रीय

 मानगढ़ के आंदोलन और गुरु गोविंद के योगदान को प्रधानमंत्री ने किया याद

– जनजातीय गौरव दिवस पर प्रधानमंत्री ने जारी किया गुजराती भाषा में वीडियो संदेश

-आदिवासी स्वाभिमान को बताने वाले बनेंगे संग्रहालय

अहमदाबाद, 15 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय गौरव दिवस पर गुजरात के आदिवासी समुदाय को गुजराती भाषा में वीडियो के जरिए संदेश दिया कि युवा पीढ़ी आदिवासियों के योगदान और उनके संघर्षों से सीख लें। इसके लिए संग्रहालय बनाए जाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को अपने वीडियो संदेश में स्वतंत्रता आंदोलन में गुजरात के आदिवासी समाज की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि आदिवासी गौरव और स्वाभिमान को बताने वाले संग्रहालय बनाए जाएंगे, जिससे की युवा पीढ़ी आदिवासी इलाकों में आदिवासियों की ओर से दिए गए योगदान और उनके संघर्षों से सीख प्राप्त कर सकें। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता आंदोलनों के समय गुजरात में आदिवासी समाज की ओर से चलाए गए कई आंदोलनों के नाम गिनाए। उन्होंने मानगढ़ आंदोलन और गुरु गोविंद के योगदान का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री फिलहाल जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने इंडोनेशिया की राजधानी बाली में हैं।

वीडियो संदेश के जरिए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के समय गुजरात के दाहोद, लीमडी, झालोद के पूरे पट्टे में आदिवासियों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था, उन्हें धूल चटाई थी। आदिवासी भाई-बहनों ने जंगलों में रहकर अंग्रेज शासकों को, विदेशी ताकतों को यह बता दिया था कि स्वाभिमान क्या होता है, सामर्थ्य क्या होती है, प्रकृति व परंपरा के प्रति प्रेम क्या होता है। जीवन के अंत तक मूल्य के लिए आजादी के लिए कैसे लड़ सकते हैं।

गुजरात में आदिवासियों के कल्याण के लिए किए गए सरकार के कार्य को बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी इलाकों के गांवों तक सडक़, मोबाइल कनेक्टिविटी, नल से जल पहुंचाने, गैस पहुंचाने का काम किया गया है। उमरगाम से अंबाजी तक विज्ञान माध्यम की स्कूल ही नहीं थी, वहां आज दो-दो आदिवासी यूनिवर्सिटी हैं। उन्होंने कहा कि डांग में बांस की खेती होती है। अंग्रेजों के जमाने के कानून के चलते आदिवासी बांस नहीं काट सकते थे। आज बांस घास की श्रेणी में आ गया। आदिवासी समाज इसकी खेती कर सकते हैं, उसे बेच सकते हैं, उसकी मूल्यवृद्धि कर कमाई कर सकते हैं। पहली बार 90 वन उपजों पर एमएसपी देने का काम सरकार ने किया है।

सिकलसेल बीमारी पर जताई चिंता

प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी सिकलसेल की बीमारी के चलते परेशान हैं। सिकलसेल एनीमिया के निवारण के लिए ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने शोध शुरू की है। दुनियाभर के वैज्ञानिकों से मदद ली जा रही है। मिशन इंद्रधनुष अभियान में भी आदिवासी इलाकों को प्राथमिकता थी ताकि बच्चे बीमारी का शिकार ना बनें। आदिवासियों को विकास का लाभ मिल रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker