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सफाई कर्मचारियों को नहीं मिला कोरोना योद्धा का सम्मान : बिधूड़ी

नई दिल्ली, 26 सितंबर। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि दलितों के हमदर्द बनने का दिखावा करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री वास्तव में दलित विरोधी हैं। दिल्ली में कोरोना काल में सफाई कर्मचारियों की मौत पर मुआवजा देना तो दूर, उनसे मिलने का समय तक नहीं दिया। सफाई कर्मचारियों का वेतन रोककर उन्हें भूखों मरने पर मजबूर किया। अनुसूचित जाति और जनजाति के कल्याण के लिए बजट में मंजूर राशि में से करीब 82 फीसदी तक खर्च ही नहीं किया। अब गुजरात के दलितों को दिल्ली बुलाकर पाखंड और ढोंग कर रहे हैं।

बिधूड़ी ने सोमवार को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि केजरीवाल का दलित विरोधी चेहरा किसी से छिपा नहीं है और गुजरात से दलित बंधुओं को दिल्ली बुलाकर खाना खिलाने की नौटंकी करके वह किसे धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोरोना के दौरान 206 सफाई कर्मचारी और दलित बंधुओं की मौत उस समय हो गई जब वे कोरोना पीड़ितों की सेवा में जुटे हुए थे। वे कंटेनमेंट जोन के उन घरों से भी कूड़ा उठा रहे थे जहां कोरोना पीड़ित थे और कोई वहां जाने की हिम्मत नहीं जुटा रहा था। उन्होंने कहा कि अपनी जान की परवाह न करते हुए अस्पतालों में वे कोरोना पीड़ितों की जान बचाने में लगे हुए थे।

बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने न तो इन्हें कोरोना योद्धा माना और न ही एक-एक करोड़ रुपये मदद जारी की। यही नहीं, कोरोना काल और बाद में दिल्ली में सफाई में जुटे कर्मचारियों की सैलरी तक रोक ली। नगर निगम का फंड रोककर केजरीवाल ने सफाई कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य कर्मचारियों के बारे में या उनके परिवारों के बारे में कुछ नहीं सोचा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दिल्ली की सैकड़ों अनधिकृत कॉलोनियां अभी नगर निगम को हस्तांतरित नहीं हुई। उनकी सफाई का काम नगर निगम कर्मचारी ही करते हैं और उसकी ऐवज में दिल्ली सरकार को उनका वेतन अदा करना होता है। दिल्ली सरकार ने इन कर्मचारियों का वेतन भी नहीं दिया। यहां तक कि उन्हें कोर्ट से इसके लिए जबरदस्त फटकार भी पड़ी। ऐसी हालत में केजरीवाल अपने आपको कैसे दलितों का हमदर्द कह सकते हैं।

बिधूड़ी ने कहा कि 2020-21 में इन वर्गों के कल्याण के लिए 433.65 करोड़ रुपये रखे गए थे, जिसे घटाकर 268.52 करोड़ कर दिया गया लेकिन उसमें से भी सिर्फ 18.35 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई। इसी तरह 2021-22 में इस मद में 465.72 करोड़ रुपये रखे गए जिसे घटाकर 425.13 करोड़ रुपये कर दिया गया। इस राशि में से सिर्फ 32.28 प्रतिशत ही खर्च किया गया।

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