जीवन का रहस्य जानने की जिज्ञासा बनाती है धर्मात्माः स्वामी परमानन्द
स्वस्थ समाज का निर्माण करती है भागवतः स्वामी ज्योतिर्मयानंद
हमीरपुर, 22 नवम्बर युग चेतना महाविद्यालय सुमेरपुर में चल रही भागवत कथा के दौरान श्रोताओं को आशीर्वचन देते हुए राम जन्मभूमि के ट्रस्टी युग पुरुष स्वामी परमानन्द गिरि ने कहा कि मनुष्य स्वयं एक प्रश्नवाचक चिन्ह है, उसके समक्ष अनेक प्रश्न रहते हैं, जिनके उत्तर उसे चाहिए, परमात्मा की कथा में अनेक प्रश्नों के उत्तर मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि हम क्यों आए हैं, किसके द्वारा लाए गए हैं, शरीर छूटने पर कहां जाएंगे.. ऐसे प्रश्न हमारे अन्दर उठने ही चाहिए, जीवन के रहस्य को जानने की जिज्ञासा से व्यक्ति धर्मात्मा बन जाता है। उन्होंने कहा कि जीव 84 लाख योनियों में भटक कर मनुष्य का जीवन प्राप्त किया है, यदि मानव जीवन पाकर भी हम जीवन सफल नहीं बना पाए तो पुनः 84 लाख योनियों में भटकने पर विवश होना पड़ेगा।
भागवत कथा जीवन के रहस्य को बताती है, उनका कहना था कि विश्व में अनेक धर्म है सबका अपना-अपना मत है, गीता, भागवत उपनिषद यही बताते हैं कि हम देह नहीं है आत्मा है, हम जीव नहीं हैं, शरीर पर रहने वाला जीव यह देह छोड़ता है इस पर भी चिंतन अनेक धर्मों ने किया है। अनेक धर्म स्वर्ग नरक भी मानते हैं मोक्ष के विषय में भागवत में अधिक चिंतन किया गया है जो सब जगह व्याप्त है वही आत्मा है। भागवत का यही मुख्य उद्देश्य है।
स्वामी जी के पूर्व कथा ब्यास महामंडलेश्वर स्वामी ज्योतिर्मयानंद ने भागवत हमें चरित्रवान ही नहीं बनाते बल्कि स्वस्थ समाज का निर्माण भी करती है भागवत में बताई हुई सभी बातें कपोल कल्पित नहीं बल्कि वैज्ञानिक हैं। कथा व्यास ने इस अवसर पर सुकदेव परीक्षित चरित्र, ऋषि कर्दम और मनु चरित्र की कथा सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, कथा सुनने के लिए भाजपा विधायक मनोज प्रजापति, कबरई के पूर्व चेयरमैन शिवपाल तिवारी, विहिप जिलाध्यक्ष रामदत्त पाण्डेय सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।