टीचर से गुरु शब्द का महत्व अधिक : संजय श्रीनेत्र
छात्र, संकाय और बुनियादी ढांचा किसी भी संस्थान के तीन स्तम्भ : निदेशक
ट्रिपल आईटी ने धूमधाम से मनाया 24वॉं स्थापना दिवस समारोह
प्रयागराज, 12 अगस्त। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रयागराज का 24वां स्थापना दिवस शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। समारोह का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत्र ने छात्रों से शिक्षा को सीखने के साथ मिश्रित करने का आह्वान किया। कहा कि सीखना जीवन में संस्कार देता है। टीचर से गुरु शब्द का महत्व कहीं अधिक है। उन्होंने छात्रों को कई तरह की विषमताओं के बावजूद जीवन में खुश रहने के कई सुझाव दिए।
इस अवसर पर उन्होंने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जीवन में अधिक से अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहना, धैर्य, एकाग्रता और जिज्ञासा जैसे गुणों को विकसित करने की सलाह दी। हर पल को जीना, खुश रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रोफेसर आर एस वर्मा ने विद्यार्थियों एवं शिक्षको से पेटेंट और कॉपीराइट प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया। कहा संस्थान अब 24 साल का हो गया है और हर वर्ष कई पेटेंट और बौद्धिक सम्पदा अधिकार प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से परिपक्व हो गया है। छात्र, संकाय और बुनियादी ढांचा किसी भी संस्थान के तीन स्तम्भ हैं। उन्होंने नौकरी की तलाश करने के बजाय जीवन में सीखने पर जोर दिया। उन्होंने स्थापना दिवस की सभी को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि संस्थान आने वाले वर्षों में कई मील के पत्थर हासिल करेगा।
इस दौरान छात्र जिमखाना के तत्वावधान में छात्रों द्वारा कई रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। प्रोफेसर विजयश्री तिवारी, कुलसचिव ने संस्थान द्वारा अब तक की यात्रा पर प्रकाश डाला। कहा संस्थान अपनी बेहतरी के साथ-साथ समाज के लिए भी अपना योगदान देने के लिए कृत संकल्पित है। प्रोफेसर विजयेन्द्र सिंह, डीन, छात्र कल्याण ने ट्रिपल आईटी द्वारा पिछले दो दशक में अर्जित उपलब्धियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। कहा कि नई शिक्षा नीति के कई पहलुओं को वर्ष 2018 से संस्थान में पहले ही लागू किया जा चुका है। संस्थान के समस्त विभागों जैस आईटी, अनुप्रयुक्त विज्ञान, प्रबंधन और इलेक्ट्रॉनिक संचार इंजीनियरिंग के प्रमुखों ने इस अवसर पर विभाग की एक साल की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की।