कलम सत्याग्रह के सातवीं कड़ी में संवाद कार्यक्रम आयोजित
सहरसा,27 नवंबर। ”कलम सत्याग्रह” अभियान के सातवीं कड़ी के रूप में रविवार को अम्बेडकर पुस्तकालय के सभागार में प्रमंडलीय संवाद” का आयोजन ज़िला कांग्रेस अध्यक्ष डा.विद्यानंद मिश्रा की अध्यक्षता में किया गया।विषय था “बिहार में शिक्षा”।इस संवाद में सहरसा प्रमंडल के सभी तीन जिलों से विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त राजनीति, शिक्षाविद,शिक्षक,सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यक्रम के आरंभिक भाषण में कलम सत्याग्रह अभियान के संयोजक, आनन्द माधव ने कहा कि समाज में बदलाव तभी आ सकता है जब नकारात्मक राजनीतिक बहस को सकारात्मक बहस में बदला जाय।
कलम सत्याग्रह मंच का निर्माण बिहार में शिक्षा को मुख्य मुद्दे के रूप में स्थापित करने कि लिये किया गया है। बिहार में शिक्षा की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। जब तक शिक्षा राजनीतिक दलों के केंद्र में नहीं आयेगा तब तक किसी भी विकास की कल्पना अधूरी है। श्री आनन्द ने बताया कि इस प्रमंडल में कुल सरकारी विद्यालयों की संख्यां 4753 है। लेकिन अगर उनकी स्थिति पर एक नजर डालें तो वह भयावह है।34.8 % स्कूलों को अपनी जमीन नहीं है।76.1 % स्कूल में लाइब्रेरी उपलब्ध नहीं है और 87.1 % स्कूलों में लाइब्रेरियन नहीं है। 97.3 % स्कूल में इंटेरनेन्ट नहीं है और 91.1% स्कूल में कंप्युटर नहीं है। विडंबना यह कि हम डिजिटल युग में रह रहे हैं। 70.8 % स्कूल में कोई मेडिकल चेक अप सुविधा उपलब्ध नहीं है। 65.1 % स्कूल में उस स्कूल के मुखिया यानि प्रधानाध्यापक के लिए अलग से कोई कमरा नही है।52.1 % स्कूल में खेल का मैदान उपलब्ध नही है। नो वर्किंग इलेक्ट्रिसिटी वाले स्कूलों की संख्या 30.4 % है। 25.1 % स्कूल में हाथ धोने की सुविधा नहीं है और हम स्वच्छता अभियान की बात करतें है। दिव्यांगों के लिए 29.7% स्कूल में रैम्प उपलब्ध नहीं है।
दूसरी ओर सहरसा के भूपेन्द्र ना. विश्वविद्यालय में परीक्षा एवं सत्र दोनों लंबित चल रहें हैं। कलम सत्याग्रह आज अपनी प्रीतिबद्धता दुहराता है और यह तय करता है कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था में सुधार आने तक हम अपना अभियान जारी रखेंगे और अगर परिस्थिति नहीं बदली तो ये अभियान आन्दोलन का भी रूप ले सकता है।बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में कलम सत्याग्रह एक दबाव समूह के रूप में भी काम करेगा और सरकार चाहेगी तो कदम कदम पर एक उसका सहयोग भी करेगी।कलम सत्याग्रह के संस्थापक सदस्य एवं आरटीआई फोरम के अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार राय ने कहा कि बिहार के शिक्षा एवं मानव विकास से जुड़े विभिन्न संगठनों ने संयुक्त रुप से बिहार में शिक्षा की बदहाली पर चिंता प्रकट करते हुए एक साथ नागरिक आंदोलन की परिकल्पना की है। सबको शिक्षा एवं समान शिक्षा ही एक विकसित समाज की कल्पना कर सकते हैं। पड़ोस के विद्यालय में शिक्षा प्रणाली लागू होना चाहिये।जहां समाज शिक्षित है वहाँ लोग शांति से हैं, सकून से हैं।सब का यह मानना है कि वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में बिहार की स्थिति बहुत ही दयनीय है। नीति आयोग की रिपोर्ट में भी लगातार बिहार को निचले या नीचे से दूसरे स्थान पर दिखाया जा रहा है। इन्हीं सब मुद्दों पर एकजुट होकर नागरिक आंदोलन की परिकल्पना के रूप में कलम सत्याग्रह की शुरुआत की गई है।
उन्होंने बताया कि यह अभियान हर प्रमंडल से होते हुए हर जिले और प्रखंडों तक जाएगा। हर विश्वविद्यालय, हर कॉलेज पहुंचेगा।बैठक की अध्यक्षता करते हुए डा. विद्यानंद मिश्रा ने कहा कि शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान है। दक्षिण के प्रदेशों में तथा पंजाब में सरकारी स्कूलों की स्थिति निजी से बेहतर है। अशिक्षा ही सारी समस्याओं की जड़ है। इसे दूर करने के लिये सबको आगे आना होगा। आज हमारी शिक्षा प्रणाली आईसीयू में है। क्योंकि कोई जवाबदेह नहीं है। जवाबदेही तय करनी होगी।आइये हम सब मिलकर इसे सामान्य करें।इस अभियान से एक नया सवेरा लायें।प्रो.दिलीप कुमार ने कहा कि पढनें लिखने से आप अपने उपर हो रहे शोषण के कारणों का भी पता कर सकते हैं।कलम सत्याग्रह के रूप में एक हम सब के पास एक मौका आया है। ये अंधकार में प्रकाश के एक किरण के समान है। शिक्षा का मुद्दा हम सब से जुड़ा हुआ है और शिक्षा सीधे रूप से हमारे स्वास्थ्य,समृद्धि सब का जड़ है।बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी सोशल मीडिया के चेयरमैन सौरभ सिन्हा ने कहा की आज की शिक्षा के हालात के लिये कोई एक व्यक्ति या सरकार अकेले दोषी नहीं है। इसके लिये हम सब ज़िम्मेदार है।इसे एक अभियान नहीं वरना एक जीवन शैली के रूप में हम सबको अपनाना होगा।
कलम सत्याग्रह का उद्देश्य शिक्षा के लिये जन-भागीदारी, जन-अधिकारपत्र एवं जन-अंकेक्षण जन-आंदोलन द्वारा स्थापित करना है।हमसे इस अभियान के साथ तन मन धन से हैं। ज़िला कांग्रेस शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. संजीव कुमार झा ने कहा कि इस राज्य में कुल 9360 प्लस टू के स्कूल हैं। जिसमें मात्र बारह हज़ार शिक्षक है, ऐसे में हमारे यहाँ शिक्षा की क्या स्थिति होगी, ईश्वर ही इसका मालिक है।फादर जोश ने कहा की हमारी शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा एक साज़िश के तहत हो रही है।
कोशी निर्माण मंच के राहुल यादुका ने कहा कि कोशी की शिक्षा नीति अलग से बननी चाहिये क्योंकि यहाँ की भौगोलिक स्थिति स्थिर नहीं है। संवाद में सिस्टर सुशीला, सुश्री सपना, विधासागर जी, सुश्री जहां आरा, डा. अनीता, प्रसून कुमार, अनिल गुप्ता, रंजन, भानू प्रकाश, सुश्री शशी कुमारी आदि ने भाग लिया। सभा के अंत में इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिये एक प्रमंडलीय समिति का भी गठन किया गया।मंच का संचालन ग़ालिब खान ने किया। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर इस कलम सत्याग्रह को हम समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति के पास ले जायेगें। क्योंकि स्कूलें पहले उनकर पहुँचना आवश्यक है।बिहार दलित अधिका मंच के राज्य अध्यक्ष कपिलेश्वर राम ने धन्यवाद ज्ञापन किया।