मंगलवार को रखा जाएगा सकठ चौथ व्रत, गणेश जी को चढ़ता है तिलवा
लखनऊ, 09 जनवरी। संकटों को दूर करने वाले देव श्रीगणेश जी की पूजा का त्योहार सकठ चौथ व्रत मंगलवार कोे रखा जाएगा। इसे जनमानस में तिलवा भी कहते हैं। इसके अलावा इसे संकष्टी श्रीगणेश चतुुुुर्थी व्रत भी कहा जाता है। हिन्दी पंचाग के अनुसार व्रत हिन्दी महीने के माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। महिलाएं इसे संतान की मंगलकामना के साथ रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत सभी प्रकार के दुखों को दूर करने वाला है। केवल इतना ही नहीं, यह मनुष्यों की सभी इच्छाएं पूरी कर देता है। इस तिथि में चंद्रोदय रात आठ बजकर 51 मिनट पर होगा।
भारतीय ज्योतिष अनुसंधान संस्थान के निदेशक आचार्य विनोद मिश्रा ने बताया कि हिन्दी पंचांग के अनुसार माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकठ चौथ का व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं दिन भर व्रत रखती हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद विधि-विधान से गणेश देव की पूजा करती हैं। उसके बाद चंद्रदेव को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण किया जाता है।
इस पूजा में महिलाएं गुड़ और भुने हुए काले तिल को मिलाकर तिलकुट बनाती हैं। कहीं इस तिलकुट से पहाड़ बनाया जाता है तो कहीं बकरा बनाते हैं। पूजा के समय घर का कोई लड़का तिलकुट से बनाए बकरे की गर्दन दूब से अलग कर देता है। पूजा के अंत में महिलाएं कहानी कहती हैैं। पूजा पूर्ण हो जाने पर सबको उसी तिलकुट और लड्डुओं का प्रसाद बाटा जाता है।
पंडित जी ने बताया कि गणेश देव की पूजा में वैसे तो लाल रंग की चीजें अर्पित की जाती हैं जैसे लाल पुष्प, लाल चंदन, लाल रंग का कपडा आदि चढ़ाया जाता है लेकिन इस पूजा में काले तिल के लड्डू, शकरकंदी, आवश्यक रूप से चढ़ाई जाती है। इसके अलावा हरी धूब, यज्ञोपवीत, सुपारी और पान चढ़ाया जाता है।