भगवान बुद्ध के शब्द कंजुर का आइजीएनसीए ने किया पुनर्प्रकाशन
नई दिल्ली
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने मंगोलियाई कंजुर के पुनर्मुद्रण का काम पूरा कर लिया है। मंगोलियाई भाषा में ‘कंजुर‘ का अर्थ ‘संक्षिप्त आदेश‘ होता है, जो विशेष रूप से भगवान बुद्ध के शब्द माने जाते हैं। यह काम राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (एनएमएम) के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की तरफ से केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी की देखरेख में सम्पन्न हुआ। इस परियोजना को पद्मविभूषण प्रो. लोकेश चंद्र का निर्देशन प्राप्त हुआ। प्रो. चंद्रा की ओर से ही पहली बार 1970 में कंजुर के सभी खंडों का प्रकाशन कराया गया था।
उक्त जानकारी इंदिरा गांधी कला केंद्र के मीडिया नियंत्रक अनुराग पुनेठा ने मंगलवार को दी। कुल 108 खंडों में प्राप्त इस बौद्ध धर्म ग्रंथ का पुनर्मुद्रण भारत-मंगोलिया सम्बंधों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वर्ष 2020 में जब कंजुर के पुनर्मुद्रण का काम शुरू हुआ था, तब पांच खंडों का सेट मंगोलियाई राजदूत के माध्यम से वहां भेजा गया था। ज्ञातव्य है कि 14 वीं से 18 वीं शताब्दी तक तिब्बती भाषा से कंजुर का अनुवाद कराया गया और राजशाही आदेश के तहत लकड़ी के ब्लॉक के जरिए इनकी छपाई हुई। दौर गुजरने के साथ कम्युनिस्ट शासन के दौरान इस तरह की करीब एक करोड़ काष्ठकृतियां जला दी गईं। बौद्ध मठों ने इसे जैसे तैसे बचा कर रखा। हालांकि, बाद में यूनेस्को के जरिए इनके पुनर्प्रकाशन के प्रयास असफल रहे। प्रो. रघु वीरा ने 1956-58 के दौरान इसकी एक माइक्रोफिल्म कॉपी हासिल की थी और भारत ले आए। मंगोलियाई बौद्ध प्रायः प्रतिदिन कंजुर का पाठ करते हैं। वहां के मठों में इसकी पूजा होती है और यह उस देश की सांस्कृतिक पहचान है। भरोसा है कि भारत और मंगोलिया के बीच सदियों पुराने सम्बंधों को मंगोलियाई कंजुर के पुनर्प्रकाशन से और अधिक मजबूती मिलेगी।