भारत की प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है योग विश्व को : कुलपति प्रो.अनायत
सोनीपत, 21 जून। दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,मुरथल के कुलपति प्रो.राजेंद्र कुमार अनायत ने कहा हमारे देश की संस्कृति के अंदर मानव कल्याण की भावना निहित है। भारतीय संस्कृति का वैज्ञानिक आधार है। उन्होंने कहा कि विश्व को योग प्राचीन भारतीय परंपरा का अमूल्य उपहार है। योग केवल व्यायाम नहीं है,अपितु जीवन जीने की एक कला है।
डीसीआरयूएसटी, मुरथल में एनएसएस व एनसीसी के कैडेट , कर्मचारियों , शिक्षकों व अधिकारियों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। इस अवसर पर संबोधित करते हुए कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि योग के द्वारा मानव के मन, शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि योग शरीर में लचीलापन, मांसपेशियों को मजबूत करने और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करता है। योग के द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार और स्वास्थ्य जीवन शैली बनाए रखने में मदद मिलती है।
कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि योग शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है,जिसका अर्थ है जुड़ना। योग के माध्यम से हमें दैनिक जीवन में आ रही परेशानियों के निराकरण में मदद करता है। योग के शरीर और मन को शांत करने के लिए शारीरिक व मानसिक संतुलन बनाने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि योग मानव को तनाव मुक्त रहने में मदद करता है।उन्होंने कहा कि अगर व्यक्ति निरोग रहेगा , तो वह अपना कार्य बेहतर तरीके से कर सकता है। इस अवसर पर रजिस्ट्रार प्रो.सुरेश कुमार,छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो‘विजय शर्मा, खेल निदेशक डॉ.बिरेंद्र सिंह हुड्डा, एनएसएस कोऑर्डिनेटर प्रो.सुमन गुलिया , प्रो.सुखदीप सिंह, प्रो.सुमन सांगवान,डा.सतपाल सिंह,डा. पूनम श्योराण, डा. प्रदीप शर्मा व एसडीओ युद्धवीर सिंह दलाल आदि उपस्थित थी।