राष्ट्रीय

असमिया कवि नीलमणि फूकन के निधन पर साहित्य अकादमी ने जताया शोक

नई दिल्ली, 19 जनवरी। साहित्य अकादमी ने प्रख्यात असमिया कवि एवं साहित्य अकादमी के महत्तर सदस्य नीलमणि फूकन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। 89 वर्षीय फूकन का गुरुवार को गुवाहाटी के एक अस्पताल में निधन हो गया।

साहित्य अकादमी ने अपने शोक संदेश में कहा कि वर्ष 1933 में जन्मे नीलमणि फूकन को उनकी कविता के अद्भुत प्रतीकवाद और कल्पनात्मक गुणों के लिए जाना जाता था। हालांकि वे उन कवियों के समूह में सबसे कम आयु के थे, जिन्होंने फ्रांसीसी प्रतीकवादी कवियों के साथ-साथ पश्चिम के कल्पनावादियों और औपचारिकताओं से प्रभावित होकर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वयं को असम में स्थापित किया। नीलमणि फूकन ने किसी भी अन्य कवि की तुलना में अधिक योगदान दिया तथा इन प्रवृत्तियों को आधुनिक असमिया कविता में स्थापित किया।

उनके उल्लेखनीय कविता संग्रह- सूर्य हेने नामी अहे एइ नदियेदी, निरजंतर शब्द, अरु की नईशब्द, फूली ठाका सूर्य मुखी, काइंत, गल्प अरु काइंत, कोबिता आदि हैं। पद्मश्री, ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा कई अन्य पुरस्कार प्राप्त करने वाले नीलमणि फूकन ने प्रतीकवाद, छवियों और सुझावों के माध्यम से व्यक्तिगत भावनाओं की अभिव्यक्ति के महत्व पर बल दिया तथा श्रेष्ठ विचारों एवं अपने अनुभव के सूक्ष्म विश्लेषण से उत्कृष्ट रचनात्मकता प्रदर्शित की। इन्हीं संवेदनाओं ने उनकी कविताओं को अद्वितीय स्तर पर पहुंचा दिया। साहित्य अकादमी ने वर्ष 2022 में फूकन को अपना सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान महत्तर सदस्यता प्रदान किया था।

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