समुद्र में तेल या रासायनिक रिसाव के खतरों से निपटने के लिए आईसीजी तैयार
नई दिल्ली, 30 नवम्बर। भारतीय जल क्षेत्र में किसी भी तरह के तेल या रासायनिक रिसाव होने पर तत्काल आकस्मिकता का जवाब देने के लिए सामूहिक तैयारी करने के साथ राष्ट्रीय क्षमताओं की समीक्षा की गई। इसके लिए बुधवार को भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने चेन्नई में 24वीं राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिक योजना और तैयारी बैठक की। इसमें विभिन्न मंत्रालयों, केंद्र और राज्य सरकार के विभागों और एजेंसियों, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बंदरगाहों और तेल प्रबंधन कंपनियों के प्रतिनिधियों सहित लगभग 100 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिक योजना (एनओएस-डीसीपी) के अध्यक्ष और भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के महानिदेशक वीएस पठानिया ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में विभिन्न मंत्रालयों, केंद्र और राज्य सरकार के विभागों और एजेंसियों, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बंदरगाहों और तेल प्रबंधन कंपनियों के प्रतिनिधियों के अपनी-अपनी राय रखी। साथ ही भारतीय जल क्षेत्र में किसी भी तेल और रासायनिक रिसाव की आकस्मिकता का जवाब देने के लिए सामूहिक तैयारी सुनिश्चित करने के सामान्य उद्देश्य के साथ राष्ट्रीय क्षमताओं की समीक्षा की गई।
बैठक में आईसीजी महानिदेशक पठानिया ने कहा कि भारतीय तटरक्षक समुद्री क्षेत्र में तेल और रासायनिक रिसाव से होने वाले खतरों से निपटने के लिए तैयार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनौतियां उभरने के साथ ही हितधारकों को मजबूत साझेदारी, प्रभावी समन्वय और विकासशील प्रौद्योगिकी की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर सहयोग बढ़ाने के अवसर पहचानने चाहिए। मौजूदा समय में भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है, जो जहाजों के माध्यम से बड़ी मात्रा में तेल प्राप्त करता है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह भारत प्रमुख रासायनिक आयातक देश के रूप में दुनिया में छठे स्थान पर है। तेल और रसायन दोनों के छलकने से भारत के समुद्री क्षेत्रों से जुड़ी बड़ी तटीय आबादी, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, उद्योगों और सहायक पर्यटन उद्योग के साथ-साथ विभिन्न प्रतिष्ठानों के लिए अंतर्निहित जोखिम पैदा होते हैं। इसलिए, किसी भी संभावित समुद्री रिसाव की तैयारी के लिए केंद्रीय समन्वय एजेंसी, बंदरगाहों, जहाज मालिकों, तेल प्रबंधन सुविधाओं, तटीय राज्यों और अन्य संबंधित हितधारकों को निवारक उपाय करने की आवश्यकता है।